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The prashna & answers are taken from Dharamdoot.




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Thursday, December 30, 2010

कृपया यह बताए कि व्यवस्थित होने का उपाय क्या हे ?


जिज्ञासू :- गुरुदेव ! आप अपने प्रवचनों में व्यवस्थित होने के लिए बहुत बल देते हें ! कृपया यह बताए कि व्यवस्थित होने का उपाय क्या हे ?

गुरुदेव :-
घर में व्यवस्था कब होती हे , जब मन में व्यवस्था होती हे ! मन में व्यवस्थिता कब होती हे , जब मन शांत हो और मन में शान्ति कब होती हे जब ईश्वर के साथ आपका मन जुडा हुआ हे ! दुनिया से जुडे रहोगे तो अशांत रहोगे ! शांत रहोगे तो व्यवस्थित रहिगे ! व्यवस्थित रहोगे तो नियमित भी रहोगे और आप नियमित है , तो फिर योजनाबद्ध तरीके से चलोगे , 'प्लानिंग"करके चलोगे ! जब प्लानिंग करक्र चलोगे तो आपके दिल में शांति रहेगी ! पता चला कि सबके पीछे एक ही बीज काम करेगा कि शांत होकर दो घड़ी अपने भगवान की आराधना में बैठते हुये , अपने मन को सतुलित करने की और व्यवस्थित करने की कोशिश करें !

Tuesday, December 28, 2010

Fw: [DOHE AND CHOPAI Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj ke pravachano se liye] 12/28...

----- Original Message -----
Sent: Tuesday, December 28, 2010 2:53 PM
Subject: [DOHE AND CHOPAI Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj ke pravachano se liye] 12/28...

दया धर्म का मूल हे ,पाप मूल अभिमान ,
तुलसी दया न छोडिए , जब लग घाट में प्राण !


जब में था हरी नहीं ,हरी हें में नहीं ,
प्रेम गली अति सांकरी, जा में दो न समाए!

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Posted By Madan Gopal Garga to DOHE AND CHOPAI Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj ke pravachano se liye at 12/28/2010 02:53:00 PM

गुरुदेव ! आनन्द पाने का मार्ग क्या हे ?




जिज्ञासू :-
गुरुदेव ! आनन्द पाने का मार्ग क्या हे ? आनन्द सभी पाना चाहते हें लेकिन वो क्या स्थितियां हें जिनके कारण दुख होता हे !

गुरुदेव :- अपने से जुड जाना आनन्द पाना हे ! दूसरे शब्दों में समझिये कि जिस समय हम संसार मे , में ,
मेरा ,कहीं मोह ,कहीं मया , कहीं ममता , कहीं अहकार से जो अज्ञान बना रहता हे , उससे बन्धन आता हे और फिर कहीं न कहीं समस्यायें आती हें ! किसी को नीचा दिखाने की कामना , किसी को पास बुलाने की इच्छा , किसी को अपने वर्ग में जोड़ने की इच्छा ,किसी के साथ में बदला लेने की भावना ,किसी के व्यवहार के कारण निराश हो जाना ,यही चीजें हें , जो हमें दु:खी करती हें !

Monday, December 27, 2010

जिज्ञासू :- गुरुदेव कहा जाता है कि स्वंय को पहचानो


जिज्ञासू :- गुरुदेव कहा जाता है कि स्वंय को पहचानो ! क्या यह संभव है कि स्वंय को पहचाना जा सके ?
गुरुदेव :- अदभुत शक्तियां हें इन्सान के पास में ! इन्सान एक पाँव से रस्सी पर चलता हे ,इन्सान हवा में उडता हे ! इन्सान कि शक्तियां हें कि वह पहाडों की उंचाइयों को नापता हे ! इन्सान ने सागर की गहराइयों को नापा , इन्सान ने आकाश की बुलन्दियों को छुआ ! इन्सान ये सब कुछ कर सकता हे तो क्या अपने स्वरूप को नहीं पहचान सकता ! अवश्य पहचान सकता हे !

Sunday, December 26, 2010

वर्तमान को संभालो





प्रश्न आपके ,समाधान सदगुरुदेव के

जिज्ञासु : गुरुदेव ! मेरे पिताजी मुझसे बार बार यही कहते हें कि " आने वाले कल के बारे में सोचो , भविष्य को संभालो ,कल क्या होगा इस बारे में सोचो ! मैनें आपसे सुना कि वर्तमान में जीओ ,वर्तमान को संभालो ! में क्या करुं ? कृपया मार्गदर्शन कीजिए !
महाराज्श्री : जो चल रहा हे उसे ठीक कर लो ! आने वाला कल ठीक हो जायेगा ! अगर इसी को ठीक नहीं कर पा रहे हो तो आने वाला भविष्य भी खराब होगा ,क्योंकि ये सभी उसी पर टिका हुआ हे ! जो क्षण चल रहा हे ,इसमें दो चीजें हें ,भूतकाल हमारा एक क्षण जिसमें हम सांस ले रहे हें , ये भूत होता जा रहा हे ,पास्ट होता जा रहा हे ! जो भविष्य था वह सरक कर वर्तमान होता जा रहा हे ,तो तब एक क्षण थोडी देर के बाद भूतकाल बन जाता हे और थोडि देर पहले वह भविष्यकाल था ! बस इस तरह से समय चल रहा होता हे ,न भूत कुछ हे ,न भविष्य कुछ हे ! जो कुछ हे यह वर्तमान ही हे ! जिस में आप जी रहे हें ! ईसे अच्छा बनये 1 योजना बना कर चलना अच्छी बात हे ! इन योजनाओं के नाम पर चिन्तायें इकटठी कर लेना ये अच्छी बात नहीं हे !

Friday, December 17, 2010

Fw: [GURUVAR SUDHANSHUJI MAHARAJ] भगवान का नियम

----- Original Message ----- To: mggarga@gmail.com
Sent: Friday, December 17, 2010 3:36 PM
Subject: [GURUVAR SUDHANSHUJI MAHARAJ] भगवान का नियम




भगवान का नियम भगवान से भी ऊपर ही ,भगवान् अपने नियम कभी नहीं तोड़ते ! भगवान से उनका नियम बदलने के लिए कभी प्रारथना मत करो ,उनके नियमो का पालन करो !

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Madan Gopal Garga द्वारा GURUVAR SUDHANSHUJI MAHARAJ के लिए 12/17/2010 03:36:00 PM को पोस्ट किया गया