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Wednesday, January 19, 2011

अर्थ के अर्जन में दोश आते हें ऐसे में क्या लरे !



जिज्ञासु : गुरुदेव !
धर्म के पथ पर चलने का सदेश सभी देते हें ,लेकिन जीवन के लिए अर्थ भी जरूरी हे ! अर्थ के अर्जन में दोश आते हें ऐसे में क्या लरे !
पुज्य गुरुदेव !
चार पुरुषार्थ माने गये हें : धर्म ,अर्थ , काम और मोक्ष ! धर्म के सथ ही अर्थ कमाओ और अर्थ के साथ ही कामनायें पूरी करो ! धर्मपूर्वक जीवन यापन करते हुए ससार से मुक्ति प्राप्त कर लो ,मोक्ष प्राप्त कर लो ! यही तो जीने का लक्ष्य हे ! धन अगर धर्मपूर्वक कमाओगे तो फिर अर्थ सुअर्थ बनेगा ! आपको आगे बढायेगा अन्यथा अर्थ का अनर्थ बनेगा ! दु:ख पहुंचेगा ! अपनी कामनायें धर्मपूर्वक पूरी करें तभी आपको शांति मिलेगी ! ये किसी को भी बिखेर सकती हे , भले ही वह कितना भी शक्तिशाली और सक्षम हो ! ये कामनाये आपके जीवन को इस प्रकार उलझा देंगी कि सुबह होगी शाम होगी और जिन्दगी तमाम हो जायेगी , लेकिन ये कामनायें समाप्त नहीं होंगी ! इसलिए धर्मपूर्वक अर्थ प्राप्त करो ! इसी में भलाई हे !

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