जिज्ञासा आत्मचिन्तन ,आत्म्विशलेषण और आत्मशोधन की प्रक्रिया है !
उत्सुकता लगभग सभी इंसानों के मन में उठती है , किंतु जिज्ञासा का अंकुर किसी सात्विक मन में ही प्र्स्फुँटित होता है !उत्सुकता का सम्बन्ध सांसारिक वस्तुओं या घटनाओं से है , जबकि जिज्ञासा का सम्बन्ध आध्यात्म से है ,आत्मा से है !उत्सुकता कई रूप धारण कर लेती है ,जैसे हैरानी ,बेचैनी ,घबराहट ,उलझन और कई बार तो क्रोध का रूप भी धारण कर लेती है !
जिज्ञासा सत्य की तलाश है ,संतोष की प्राप्ति है ,आनंद की अनुभूती है और परमपुरुष के दर्शन करने की उत्कंठा है ! जिज्ञासा यात्रा है परमपद को पाने की, इसीलिए जीवन का भाव अत्यन्त कल्याणकारी है !
उत्सुकता लगभग सभी इंसानों के मन में उठती है , किंतु जिज्ञासा का अंकुर किसी सात्विक मन में ही प्र्स्फुँटित होता है !उत्सुकता का सम्बन्ध सांसारिक वस्तुओं या घटनाओं से है , जबकि जिज्ञासा का सम्बन्ध आध्यात्म से है ,आत्मा से है !उत्सुकता कई रूप धारण कर लेती है ,जैसे हैरानी ,बेचैनी ,घबराहट ,उलझन और कई बार तो क्रोध का रूप भी धारण कर लेती है !
जिज्ञासा सत्य की तलाश है ,संतोष की प्राप्ति है ,आनंद की अनुभूती है और परमपुरुष के दर्शन करने की उत्कंठा है ! जिज्ञासा यात्रा है परमपद को पाने की, इसीलिए जीवन का भाव अत्यन्त कल्याणकारी है !
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