जिज्ञासू :- गुरुदेव ! आध्यात्मिक नगरी में प्रवेश पाने ,भक्ति करने के लिये कहां से प्रारम्भ करें ?
गुरुदेव :- बडी विचित्र बात हे कि जो चीज आध्यात्मिक नगरी में प्रवेश करने के लिये अनिवार्य हे वे ही चीज़ सांसारिक जीवन में सफल होने के लिये भी अनिवार्य हें ! दोनों का मैल बैठा लो ! जीवन में भक्ति शुरू हो जायेगी ! ऐसा नहीं हे कि भक्ति अलग चीज हे , संसार का व्यवहार अलग चीज हे ! जो दोनों में व्यवस्थित हो जाता हे , समझो कि उसकी भक्ति शुरू हो गयी !
गुरुदेव :- बडी विचित्र बात हे कि जो चीज आध्यात्मिक नगरी में प्रवेश करने के लिये अनिवार्य हे वे ही चीज़ सांसारिक जीवन में सफल होने के लिये भी अनिवार्य हें ! दोनों का मैल बैठा लो ! जीवन में भक्ति शुरू हो जायेगी ! ऐसा नहीं हे कि भक्ति अलग चीज हे , संसार का व्यवहार अलग चीज हे ! जो दोनों में व्यवस्थित हो जाता हे , समझो कि उसकी भक्ति शुरू हो गयी !
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