जिज्ञासु : पुज्य गुरुदेव !ब्रह्मज्ञान क़ा मार्ग क्या हे ?
महाराजश्री :-गुरु के प्रति श्रद्धा हे ,माता पिता के प्रति श्रद्धा हे ,अपने धर्म के प्रति श्रद्धा हे , उसे और दृढ़ करते चले जाओ ! यदि आप ऐसा करेंगे तो आप आगे बढ़ सकते हैं ! ब्रह्म ज्ञान क़ा मार्ग यही है ! भक्ति की तरफ चलने क़ा मार्ग यही है कि अपनी श्रद्धा को गहरा करो समर्पण के भाव जगाओ !
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