जिज्ञासु :-पूज्य गुरुदेव में एक मध्यम वर्गीय व्यवसायी हूँ ! प्रतिदिन सुबह से शाम तक परिवार की आवश्यकताओं एवं सुख सुविधाओं के लिए धनार्जन हेतु व्यवसाय मैं लगा रहता हूँ ! ऐसे में बच्चों के लिए समय नहीं दे पाता ,पत्नी ठीक से बच्चों को अनुशासन मैं रख नहीं पाती ऐसे में बच्चों के बिगड़ने की संभावना भी हो सकती है ! कृपया मेरा मार्गदर्शन करें !
महाराजश्री :- जितनी महानत आप संपत्ति बटोरने में और संपत्ति संभालने में लगाते हैं उससे कई गुना अधिल महानत आपको अपनी सन्तान संभालने मैं लगानी चाहिए ! जिसकी सन्तान संभल गई तो समझ लीजिए की उसकी लोक-परलोक की संपत्ति संभल गई और जिसकी सन्तान बिगड़ गई तो उसके लिए सब कुछ बिगड़ गया , इसलिए सन्तान में मर्यादा और सात्विकता लाना बहुत जरुरी है !
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