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Monday, March 21, 2011

जिज्ञासु :- पूज्य गुरुदेव ! क्रोध व्यक्ति के लिए बाधक




जिज्ञासु :- पूज्य गुरुदेव ! क्रोध व्यक्ति के लिए बाधक होता हे , परन्तु हमारे कुछ ऋषी मुनि जैसे कि विश्वामित्र ही क्रोध को नहीं छोड़ पाए फिर भी उनकी भक्ति चरम तक पहुँची ! प्रार्थना है कि मेरी इस जिज्ञासा क़ा समाधान करने की कृपा करें कि यदि क्रोध मात्र एक दोष नहीं छुटता तो धी भक्ति सफल हो सकती है !

महाराजश्री :-ऐसा नहीं है कि क्रोधी व्यक्ति भक्ति नहीं कर सकता , अथवा उसकी भक्ति सफल नहीं होती , वह भक्ति भी कर सकता है , उसकी भक्ति सफल भी हो सकती है लेकिन भक्ति द्वारा वह हो दिव्य शक्ति उपार्जित करता है वह क्रोध के कारण क्षीण हो जाती है ! विश्वामित्र के साथ भी ऐसा ही हुआ ! वे तपस्या के द्वारा जो पुण्य , जो शक्ति उपार्जित करते थे वह उनके क्रोध करने से नष्ट हो जाती थी ~ और उनकी वर्षों की तपस्या व्यर्थ हो जाती थी ! इसीलिए बहुत चाहने पर भे वे ब्रह्मर्षि पद को तब तक न पा सके जब तक उनहोंने अपने क्रोध पर पुरी तरह विजय प्राप्त न कर ली और उनकी भक्ति सफल तभी हुई जब वे क्रोध से रहित हो गए !

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