पूज्य गुरूदेव ! मानसिक अशांति का आधार क्या हे ?
महाराजश्री : जब तक इंसान बच्चों जैसा भोलापन अपने अंदर रखता है उसके अंदर अशांति नहीं रहती !
जैसे -जैसे माया की परत व्यक्ति के ऊपर चढती जाएगी वैसे-वैसे अशांत होगा ! इसलिए कहा गया है की मनुष्य का व्यवहार जितना कृत्रिम है ,बनावटी है ,दिखावे वाला है ,उतना अशांत है और जितना सरल ,सहज ,प्रेमपूर्ण ,रसपूर्ण है उतना ही वह शांत और आनंदित है !
3 comments:
nice post
bahut badiya jeevan se ashanti door karane ke liye batata gyanverdhaklekh.badhaai aapko.
please visit my blog and leave the comments.aabhaar
सहि बात है । गूरूजी ।
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