महाराजश्री :याद रखना ,कितना भी बुद्धिमान आदमी हो ,हर समय उसकी बुद्धि काम नहीं करती !हर जगह हमारी मति हमारा साथ नहीं दे पाती !हर समय ही हमारा मन सही निर्णय नहीं ले पाता बहुत -बहुत बार जीवन में ऐसी स्थितियां आती हें ,जब हम कुछ सोचने समझने में असमर्थ हो जाते हे ! बड़े से बड़ा बुद्धिमान इस तरह का कार्य कर बैठता है कि वह सदा के लिए चोट खाता है !अवसर चूका किसान और डाल चुका बानर और समय को खो देने वाला विद्दार्थी और संसार में रमा हुआ भक्त बाद में बहुत पछताता है !इसी चोट से बचाने वाली शक्ति का नाम सदगुरु है !
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Friday, June 24, 2011
Thursday, June 23, 2011
पूज्य गुरूदेव ! कहा जाता है की अपने स्वर्ग का निर्माण
महाराजश्री :-जो अपने गुरुओं को , बड़े बुजुर्गों को प्रसन्न करना जानते हे , उनका आशीर्वाद लेना जानते हैं , समझना उनके पास स्वर्ग है !महान पुरुषों की सेवा जरुर करनी चाहिए ! महान पुरुषों के सान्निध्य में बैठना चाहिए ! ज्ञानीजनों को अपने घर में बुलाइए !ज्ञानीजनों का संग कीजिए ! ज्ञानीजनों को ही अपना सबसे बड़ा रिश्तेदार मानिए ! जिनके सान्निध्य में बैठने से आपको जीवन में उन्नति आए उन्ही ज्ञानी-गुनीजनों को आप महत्त्व दें ! जिनकी कृपा को पाने से आपका उत्थान होता है !
Sunday, June 19, 2011
कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है तो फिर इसमें गुरु
जिज्ञासु :पूज्यगुरुदेव :गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा हे "अवश्यमेव भोक्तातव्यं कृत शुभाशुभं " अर्थात जब किये हुए कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है तो फिर इसमें गुरु का क्या महत्त्व है ?
महाराजश्री :किये हुए कर्मों का फल तो अवश्य भोगानापड़ता है लेकिन गुरु ऐसी विधि बताता है जिससे कर्मफल का भोग बहुत आसान हो जाता है और आगे उस प्रकार के कर्म न हों उनसे मुक्ति का मार्ग देता है ! साथ ही अपनी कृपा के छत्रछाया द्वारा रक्षा करता है !
Saturday, June 4, 2011
जिज्ञासु :-पूज्यगुरुदेव ! सभी संत महापुरुष कहते हैं
जिज्ञासु :-पूज्यगुरुदेव ! सभी संत महापुरुष कहते हैं की जीवन के लक्ष्य को समझो , उसे पाने का प्रयास करो लेकिन समझ मैं यह नहीं आता कि उस लक्ष्य को पा लेने का परिणाम क्या है !
महाराजश्री :- परिणाम यह है कि जिस दिन उनको यह खजाना मिल जाता है , उस दिन एक अलग प्रकार का आनंद उनके अन्दर बहने लगता है फिर कुछ और पाना शेष नहीं रहता ! हीरे जवाहरात के खज़ाने सामने हों तो व्यक्ति कंकड़ पत्थरों की तरफ रूचि नहीं लेता ! जिसे अमृत मिल गया फिर किसी और पेय को पीना नहीं पडेगा , क्योंकि सारी दुनिया के स्वाद वहीं जाकर जुड़ जाते हैं ! उसी में सबसे बड़ा हित आकर जुड़ जाता है ! यह शक्ति जागे यही जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है फिर और कुछ पाने की स्थिति नहीं बचेगी ! इसलिए इसे साधारण नहीं कहा जाता !
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