जिज्ञासु :पूज्यगुरुदेव :गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा हे "अवश्यमेव भोक्तातव्यं कृत शुभाशुभं " अर्थात जब किये हुए कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है तो फिर इसमें गुरु का क्या महत्त्व है ?
महाराजश्री :किये हुए कर्मों का फल तो अवश्य भोगानापड़ता है लेकिन गुरु ऐसी विधि बताता है जिससे कर्मफल का भोग बहुत आसान हो जाता है और आगे उस प्रकार के कर्म न हों उनसे मुक्ति का मार्ग देता है ! साथ ही अपनी कृपा के छत्रछाया द्वारा रक्षा करता है !
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