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welcome to the blog
See Guruji giving blessings in the end
The prashna & answers are taken from Dharamdoot.
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Thursday, December 13, 2012
New Year 2013 is around the corner.....It brings...
Wednesday, December 12, 2012
LIVE CHAT WITH GURUJI.
Saturday, December 8, 2012
satsang from faridabad on 9 Dec on ustream
![]() | WATCH LIVE WEBCAST ( http://www.ustream.tv/channel/vjmworldlive)OF SATSANG FROM FARIDABAD on Sunday Dec. 9 from 5:00PM Indian... |
Sunday, November 11, 2012
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Friday, August 31, 2012
जिज्ञासु :-पूज्य गुरूदेव-भक्ति को सफल बनाने और भगवान्
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Thursday, August 9, 2012
Wednesday, July 25, 2012
अपना ध्यान रखना
From: Praveen Verma
Sunday, July 22, 2012
Friday, July 13, 2012
Before u speak
Before u speak ---THINK. T --- is it true ? H ---- is it helpful ? I --- is it inspiring?N----- is it necessary ? K---- is it kind ?
Tuesday, June 19, 2012
आज का जीवन सूत्र १९/६/२०१२
Sunday, June 17, 2012
Fwd: [Param Pujya Sudhanshu Ji Maharaj] आज का जीवन सूत्र16-6-2012
From: Madan Gopal Garga <mggarga4@gmail.com>
Date: 2012/6/16
Subject: [Param Pujya Sudhanshu Ji Maharaj] आज का जीवन सूत्र16-6-2012
To: mggarga4@gmail.com
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Posted By Madan Gopal Garga to Param Pujya Sudhanshu Ji Maharaj at 6/16/2012 03:36:00 AM
Saturday, June 16, 2012
आज का जीवन सूत्र16-6-2012
आज का विचार 16/6/12
From: Praveen Verma
In order to live to the fullest, just focus on the positive thoughts, which strengthens the vital force.
Guruji's Amrit Vachan from Manali, India
Friday, June 15, 2012
Fwd: आज का विचार - 6/14/12
From: Praveen Verma <praveenverma@vjmna.org>
Date: 2012/6/15
Subject: आज का विचार - 6/14/12
To: praveenverma@vjmna.org
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Start every day by resolving and promising to yourself that today, which is given by God, you will make every effort to make this a good day.
Guruji's Amrit Vachan from Manali, India
Thursday, June 14, 2012
आज का जीवन सूत्र 15-6-2012
Fwd: आज का विचार - 6/12/12
From: Praveen Verma
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Do and think the best. Every person who starts from a good place is remembered by all.
(Amrit Vachan of Sadguruji from Manali, India)
आज का विचार - 14/6/12
From: Praveen Verma
हर दिन दो चीजों का मेल बनाकर रखिए। कर्म जारी रहे, भक्ति भी जारी रहे।
Each day make sure you dedicate time to devotion and good deeds. It should continue.
Guruji's Amrit Vachan from Manali, India
आज का जीवन सूत्र 14-6-2012
आज का जीवन सूत्र 10-6-2012
Tuesday, June 12, 2012
आज का जीवन सूत्र 12-6-2012
Monday, June 11, 2012
Sunday, June 10, 2012
आज का विचार -9/6/12
From: Praveen Verma
जीवन है चुनौती । नित नई नई चुनौती बनकर सामने आती हैं । जब आप बहादुर होकर चुनौती को स्वीकार करते हैं तो वो कुछ न कुछ देकर ही जाएँगी, कुछ लाभ देंगी । परम पूज्य सुधांशुजी महाराज Life is a challenge. Everyday we face new challenges. When we face a challenge with courage, we benefit from the rewards we reap. Humble Devotee |
आज का विचार - 10/6/12
From: Praveen Verma
संग्रह के रोग को छोडकर भगवान की ओर जाने का प्रयास करें । उसकी कृपा मिल गई तो समझो सबकुछ मिल गया। परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Try to move towards God instead of hoarding onto material things. Once you have HIS grace, you have everything. Humble Devotee |
Saturday, June 9, 2012
आज का जीवन सूत्र 9-6-2012
Friday, June 8, 2012
Fwd: आज का विचार - 6/7/12
From: Praveen Verma
जीवन संगीत है। सुर से बजाओगे तो बहुत अच्छा है, मधुर है और अगर सुर से भूल गए तो शोर है जीवन और उसको खुद भी नहीं सुन पाओगे दूसरे तो क्या सुनेगें । परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Life is filled with music. When the music is in tune, life is melodious and sweet. However, when the music is out of tune it just becomes noise. Humble Devotee |
आज का जीवन सूत्र-७-६-२०१२
Monday, June 4, 2012
आज का जीवन सूत्र-४-५-२०१२
पूज्य गुरुदेव तनाव और अशांति से बचकर सुख -शांति कैसे प्राप्त करें ?
पूज्य गुरुदेव तनाव और अशांति से बचकर सुख -शांति कैसे प्राप्त करें ?
जिज्ञासु :-
पूज्य गुरुदेव तनाव और अशांति से बचकर सुख -शांति कैसे प्राप्त करें ?
महाराजश्री:-
तनाव और अशांति से बचने के लिए सबसे पहले आप स्वएं को नियमित और व्यवस्थित बनाएं !मर्यादित रहें अनुशासन मैं चलें ,आत्म अनुशासन को अपने उपर कायम करें !कैसी भी स्थिति-परिस्थिति हो ,हर हाल मैं खुश रहना सीखें ! 24 घंटे मैं कम से कम कम 24 मिनट परमात्मा के ध्यान -प्रार्थना मैं बिताएं !प्रभु की कृपाओं के लिए धन्यवाद करें !परोपकार का कोई न कोई कार्य जरूर करें ,दिन मैं तीन बार खुलकर हंसे और दूसरों में भी खुशियां बांटें ,इन नियमों को अपनाने से तनाव व अशांति दूर होगी और जीवन मैं सुख शांति आएगी !
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Posted By Madan Gopal Garga to jigyasa aur samadhan at 6/02/2012 03:13:00 PM
Saturday, June 2, 2012
पूज्य गुरुदेव तनाव और अशांति से बचकर सुख -शांति कैसे प्राप्त करें ?
जिज्ञासु :-
पूज्य गुरुदेव तनाव और अशांति से बचकर सुख -शांति कैसे प्राप्त करें ?
महाराजश्री:-
तनाव और अशांति से बचने के लिए सबसे पहले आप स्वएं को नियमित और व्यवस्थित बनाएं !मर्यादित रहें अनुशासन मैं चलें ,आत्म अनुशासन को अपने उपर कायम करें !कैसी भी स्थिति-परिस्थिति हो ,हर हाल मैं खुश रहना सीखें ! 24 घंटे मैं कम से कम कम 24 मिनट परमात्मा के ध्यान -प्रार्थना मैं बिताएं !प्रभु की कृपाओं के लिए धन्यवाद करें !परोपकार का कोई न कोई कार्य जरूर करें ,दिन मैं तीन बार खुलकर हंसे और दूसरों में भी खुशियां बांटें ,इन नियमों को अपनाने से तनाव व अशांति दूर होगी और जीवन मैं सुख शांति आएगी !
Thursday, May 31, 2012
जिज्ञासु :-वह कोनसा जप या पूजा हे जिसमैं न माला
महाराजश्री:-
जिस पूजन या जप मैं माला ,आसन ,तसवीर और न किसी विधि विधान की जरूरत नहीं होती वह मानसिक पूजन और अजपाजप है ! और यही सभी पूजा पद्धतियों मैं श्रेष्ठ भी है ! भगवान को आप मन से पूजें ,मानसिक कल्पना करें कि मैं उन्हे स्नान करवा रहा हूं ,दिव्य वस्त्र अर्पित कर रहा हूं ,नन्दन वन के फूल चढा रहा हूं ,कामधेनु गाय के दूध से भग्वान का भोग लगा रहा हूं ! मेरे प्रभु की आरती मैं आकाश मण्डल से स्वय चांद-सितारे उपस्थित हो गए हैं ,पिता परमात्मा दिव्य,स्वरूप मैं मेरे सामने विराजमान होकर पूजन को स्वीकार कर रहे हैं और आती-जाती सांस मैं प्रभु नाम को बसा लें कोई भी कार्य करें प्रभु का नाम अन्दर-अन्दर चलता रहे !
: आज का विचार - 31/5/12
From: Praveen Verma
भाग्य आपको परिस्थितियॉ देता है, पर पुरुषार्थ उनसे निकलने की हिम्मत देता है।
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Destiny or fate may present you with harsh circumstances but with diligence and perseverance, the path to overcoming these circumstances is provided. Humble Devotee |
Wednesday, May 30, 2012
आज का जीवन सूत्र-३०-५-२०१२
Friday, May 25, 2012
mala main 108 manke kyon

जब हम माला करते है तो मन में अक्सर ये प्रश्न
आता है कि माला में १०८ मनके ही क्यों होते
है.इससे कम
या ज्यादा क्यों नहीं ? हमारे धर्म में 108
की संख्या महत्वपूर्ण मानी गई है. ईश्वर नाम के
जप, मंत्र जप, पूजा स्थल या आराध्य
की परिक्रमा, दान इत्यादि में इस
गणना को महत्व दिया जाता है. जपमाला में
इसीलिए 108 मणियाँ या मनके होते हैं.
उपनिषदों की संख्या भी 108 ही है. विशिष्ट
धर्मगुरुओं के नाम के साथ इस संख्या को लिखने
की परंपरा है. तंत्र में उल्लेखित देवी अनुष्ठान
भी इतने ही हैं. परंपरानुसार इस
संख्या का प्रयोग तो सभी करते हैं, लेकिन
इसको अपनाने के रहस्यों से ज्यादातर लोग
अनभिज्ञ होंगे. अतः इस हेतु कुछ तथ्य प्रस्तुत हैं-
1. - इस विषय में धार्मिक ग्रन्थों में अनेक मत
हैं .एक मत के अनुसार हम २४ घंटों में २१,६००
बार सांस लेते हैं. १२ घंटे का समय
अपनी दिनचर्या हेतु निर्धारित है और बाकी के
१२ घंटे का समय देव आराधना हेतु. अर्थात
१०,८०० सांसों में ईष्टदेव का स्मरण
करना चाहिये, किन्तु इतना समय दे
पाना मुश्किल है. अत: अन्तिम दो शून्य हटा कर
शेष १०८ सांसों में प्रभु स्मरण का विधान
बनाया गया है .
इसी प्रकार मणियों की संख्या १०८
निर्धारित की गयी है.
2.- दूसरी विचारधारा के अनुसार सॄष्टि के
रचयिता ब्रह्म हैं. यह एक शाश्वत सत्य है. उससे
उत्पन्न अहंकार के दो गुण होते हैं , बुद्धि के
तीन , मन के चार , आकाश के पांच , वायु के छ,
अग्नि के सात, जल के आठ और पॄथ्वी के नौ गुण
मनुस्मॄति में बताये गये हैं. प्रक्रिति से ही समस्त
ब्रह्मांड और शरीर की सॄष्टि होती है. ब्रह्म
की संख्या एक है जो माला मे सुमेरु की है. शेष
प्रकॄति के २+३+४+५+६+७+८+९=४४
गुण हुये. जीव ब्रह्म
की परा प्रकॄति कही गयी है. इसके १० गुण हैं.
इस प्रकार यह संख्या ५४ हो गयी ,
जो माला के
मणियों की आधी संख्या है ,जो केवल
उत्पत्ति की है. उत्पत्ति के विपरीत प्रलय
भी होती है,
उसकी भी संख्या ५४ होगी. इस माला के
मणियों की संख्या १०८ होती है.
माला में सुमेरु ब्रह्म जीव की एकता दर्शाता है.
ब्रह्म और जीव मे अंतर यही है कि ब्रह्म
की संख्या एक है और जीव की दस इसमें शून्य
माया का प्रतीक है, जब तक वह जीव के साथ है
तब तक जीव बंधन में है. शून्य का लोप हो जाने से
जीव ब्रह्ममय हो जाता है.
माला का यही उद्देश्य है कि जीव जब तक १०८
मणियों का विचार नहीं करता और कारण स्वरूप
सुमेरु तक नहीं पहुंचता तब तक वह इस १०८ में
ही घूमता रहता है . जब सुमेरु रूप अपने
वास्तविक स्वरूप की पहचान प्राप्त कर लेता है
तब वह १०८ से निवॄत्त हो जाता है अर्थात
माला समाप्त हो जाती है. फ़िर सुमेरु
को लांघा नहीं जाता बल्कि उसे उलट कर फ़िर
शुरु से १०८ का चक्र प्रारंभ किया जाता है
108 की संख्या परब्रह्म की प्रतीक
मानी जाती है. 9 का अंक ब्रह्म का प्रतीक है.
विष्णु व सूर्य की एकात्मकता मानी गई है
अतः विष्णु सहित 12 सूर्य या आदित्य हैं.
ब्रह्म के 9 व आदित्य के 12 इस प्रकार
इनका गुणन 108 होता है. इसीलिए परब्रह्म
की पर्याय इस संख्या को पवित्र
माना जाता है. 3.- मानव जीवन की 12
राशियाँ हैं. ये राशियाँ 9 ग्रहों से प्रभावित
रहती हैं. इन दोनों संख्याओं का गुणन भी 108
होता है.
4.- नभ में 27 नक्षत्र हैं. इनके 4-4 पाद
या चरण होते हैं. 27 का 4 से गुणा 108
होता है. ज्योतिष में भी इनके गुणन अनुसार
उत्पन्न 108 महादशाओं की चर्चा की गई है.
5.- ऋग्वेद में ऋचाओं की संख्या 10 हजार 800
है. 2 शून्य हटाने पर 108 होती है.
6.- शांडिल्य विद्यानुसार यज्ञ वेदी में 10
हजार 800
ईंटों की आवश्यकता मानी गई है. 2 शून्य कम कर
यही संख्या शेष रहती है. जैन मतानुसार भी अक्ष
माला में 108 दाने रखने का विधान है. यह
विधान गुणों पर आधारित है. अर्हन्त के 12,
सिद्ध के 8, आचार्य के 36, उपाध्याय के 25व
साधु के 27 इस प्रकार पंच परमिष्ठ के कुल
108 गुण होते हैं. "जय जय श्री राधे"
पूज्य गुरुदेव :-
: पूज्य गुरुदेव :-: पूज्य गुरुदेव :- इस मानव जीवन का सदुपयोग कैसे करें ? इस जीवन का उद्देश्य क्या है और इसे कैसे पहचानें ? महाराजश्री :- शास्त्रों मै ...
पूज्य गुरुदेव :- इस मानव जीवन का सदुपयोग कैसे करें
पूज्य गुरुदेव :-
इस मानव जीवन का सदुपयोग कैसे करें ? इस जीवन का उद्देश्य क्या है और इसे कैसे पहचानें ?
महाराजश्री :-
शास्त्रों मै धर्म ,अर्थ ,काम ,मोक्ष पुरुशार्थ ,चतुश्टय के माध्यम से जीवन के लक्ष्य प्राप्ति की बात कही गयी है !मनुष्य को अपनी रुचि और स्थिति के अनुसार ज्ञान -कर्म -उपासना के माध्यम से भग्वत्प्राप्ति के साधन मै लग जाना ही जीवन का सदुपयोग है !यह जीवन पिता परमात्मा की वाटिका का सर्वोत्तम पुष्प है ,इसका सौन्द्र्य सुगन्ध और आकषर्ण बना रहे !संसार को अपने सत्कर्मों से आकर्षित करता रहे !प्रत्येक कर्तव्य का निष्काम भाव से पालन करे , शरीर स्वास्त्य का भी पूरा ध्यान रखें ,क्योंकि यह साधना धाम है ,जिसमे प्रभु विराजमान हैं और उस आत्मस्थ परमात्मा की अनुभूति कर लेना ही इस जीवन का परम उद्देश्य है !