पूज्य गुरुदेव :-
इस मानव जीवन का सदुपयोग कैसे करें ? इस जीवन का उद्देश्य क्या है और इसे कैसे पहचानें ?
महाराजश्री :-
शास्त्रों मै धर्म ,अर्थ ,काम ,मोक्ष पुरुशार्थ ,चतुश्टय के माध्यम से जीवन के लक्ष्य प्राप्ति की बात कही गयी है !मनुष्य को अपनी रुचि और स्थिति के अनुसार ज्ञान -कर्म -उपासना के माध्यम से भग्वत्प्राप्ति के साधन मै लग जाना ही जीवन का सदुपयोग है !यह जीवन पिता परमात्मा की वाटिका का सर्वोत्तम पुष्प है ,इसका सौन्द्र्य सुगन्ध और आकषर्ण बना रहे !संसार को अपने सत्कर्मों से आकर्षित करता रहे !प्रत्येक कर्तव्य का निष्काम भाव से पालन करे , शरीर स्वास्त्य का भी पूरा ध्यान रखें ,क्योंकि यह साधना धाम है ,जिसमे प्रभु विराजमान हैं और उस आत्मस्थ परमात्मा की अनुभूति कर लेना ही इस जीवन का परम उद्देश्य है !
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