
जिज्ञासू :- गुरुदेव कहा जाता है कि स्वंय को पहचानो ! क्या यह संभव है कि स्वंय को पहचाना जा सके ?
गुरुदेव :- अदभुत शक्तियां हें इन्सान के पास में ! इन्सान एक पाँव से रस्सी पर चलता हे ,इन्सान हवा में उडता हे ! इन्सान कि शक्तियां हें कि वह पहाडों की उंचाइयों को नापता हे ! इन्सान ने सागर की गहराइयों को नापा , इन्सान ने आकाश की बुलन्दियों को छुआ ! इन्सान ये सब कुछ कर सकता हे तो क्या अपने स्वरूप को नहीं पहचान सकता ! अवश्य पहचान सकता हे !
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