गुरुदेव :- अपने से जुड जाना आनन्द पाना हे ! दूसरे शब्दों में समझिये कि जिस समय हम संसार मे , में ,
मेरा ,कहीं मोह ,कहीं मया , कहीं ममता , कहीं अहकार से जो अज्ञान बना रहता हे , उससे बन्धन आता हे और फिर कहीं न कहीं समस्यायें आती हें ! किसी को नीचा दिखाने की कामना , किसी को पास बुलाने की इच्छा , किसी को अपने वर्ग में जोड़ने की इच्छा ,किसी के साथ में बदला लेने की भावना ,किसी के व्यवहार के कारण निराश हो जाना ,यही चीजें हें , जो हमें दु:खी करती हें !
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